काले गेहूं की खेती की ऊंची कीमत से किसान मालामाल, जानें मंडी का भाव व कमाई

Kale Gehu ki Kheti: हमारा देश कृषि प्रधान देश है। दशकों से चले आ रहे प्रयासों के बाद आज भारतीय किसान खेती करने के नए-नए वैज्ञानिक और उन्नत तरीकों का लाभ ले रहे हैं। इसी क्रम में कुछ समय पहले काले गेहूं की खेती (Black Wheat ki Kheti) का प्रचलन भी बढ़ चला है। वैज्ञानिक द्वारा विकसित की गई गेहूं की यह विरली और उन्नत किस्म जहां एक और किसानों को बहुत फायदा दे रही है, वहीँ यह गेहूं कई तरह के औषधि गुणों से भरपूर है और उपयोगकर्ता के लिए भी लाभदायक है। इसकी खेती को भारतीय किसानों के द्वारा किया जा रहा है। काले गेहूं की खेती कर किसान इसे मंडियों में ऊंचे कीमत पर बेचकर अच्छी कमाई कर रहे हैं। आइए जानते हैं कि भारत में Kale Gehu Ki Kheti को कैसे किया जाता है? इससे किसान की कितनी कमाई हो सकती है।

ब्लैक गेहूं की खेती | बीज बुबाई का समय | फसल कटाई का समय | काले गेहूं का मंडी में भाव

Kale gehu black wheat ki kheti

काले गेहूं की खेती कैसे करें

काला गेहूं तीन प्रकार का होता है –काला ,नीला, जामुनी। इसे कुछ राज्यों में कठिया गेहूं के नाम से भी जाना जाता है। यह स्वाद में भले ही सामान्य गेहूं की तुलना में कुछ अलग है, लेकिन यह सामान्य गेहूं की तुलना में कहीं अधिक पौष्टिक और ऊर्जावान है। शोधकर्ताओं के अनुसार काले गेहूं में पाया जाने वाला एंथ्रोसाइनीन एक नेचुरल एंटी ऑक्सीडेंट व एंटीबायोटिक हार्ट अटैक, कैंसर,  शुगर, मानसिक तनाव के साथ-साथ डायबिटीज घुटनों के दर्द और अन्य कई असाध्य रोगों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सक्षम है। इसी को देखते हुए किसानों में इसके बीज की बुवाई के प्रति रुझान लगातार बढ़ता जा रहा है, लेकिन जानकारी के अभाव में कई लोग काले गेहूं की खेती की इच्छा रखने के बावजूद इसे नहीं कर पा रहे हैं। आगे आप इससे जुड़ी बारीक से बारीक जानकारी पढ़ने वाले हैं, इसलिए इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें।

भारत में काले गेहूं की खेती

हमारे देश में काले गेहूं की खेती उन सभी राज्यों में की जा सकती है, जहां सामान्य गेहूं पैदा किया जाता है। हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश (MP), छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश (UP) सहित भारत के सभी गेहूं उत्पादक राज्यों की जलवायु और मिट्टी, इसकी उपज के लिए उपयुक्त है। हाल फिलहाल की बात करें तो उत्तर प्रदेश के साथ-साथ पंजाब और हरियाणा के कुछ हिस्सों में इसकी खेती बड़े पैमाने पर शुरू भी की जा चुकी है। मध्यप्रदेश में सीहोर और इंदौर क्षेत्र के कुछ इलाकों में भी गेहूं की इस किस्म का उत्पादन शुरू कर दिया गया है, जिससे किसान अच्छी कमाई कर रहे हैं।

यह भी पढ़ें: लहसून की खेती से किसानों की बंपर कमाई

काले गेहूं की खेती हेतु जलवायु व मिट्टी

भारत में काले गेहूं की खेती करने के लिए जलवायु और मिट्टी की गुणवत्ता पर विशेषज्ञों की राय है कि नवंबर माह का मौसम ब्लैक गेहूं की बुवाई के लिए सर्वोत्तम समय है। इस समय खेतों में मौजूद पर्याप्त नमी बीजों के अंकुरण और आगे जाकर बेहतरीन उत्पादन देने में सहायक होती है। मतलब यदि आप सामान्य गेहूं की खेती करते हैं तो आप उसी समय में इसकी खेती कर सकते हैं, क्योंकि अमूमन भारत के अधिकांश हिस्सों में अक्टूबर और नवंबर के दिनों में ही गेहूं की बुवाई की जाती है।

ऐसे करें खेत तैयार 

  • इसके बीज की बुवाई करने के पहले खेत में नमी कम है तो उसे पानी दे कर दो बार पलट ले।
  • उसके बाद अंकुरण योग्य नमी होने पर काले गेहूं की बुवाई कर दें।
  • यदि अक्टूबर-नवंबर तक खेतों में प्राकृतिक नमी बनी हुई हो तो उसी नमी के साथ बुवाई की जा सकती है।
  • खेत में जिंक व यूरिया के साथ-साथ डीएपी ड्रिल से डालें।
  • 50 किलो डीएपी, 45 किलो यूरिया, 20 किलो म्यूरेट पोटाश तथा 10 किलो जिंक सल्फेट प्रति एकड़ बोवनी में उपयोग करें।
  • पहली सिंचाई के समय 60 किलो यूरिया प्रति एकड़ के हिसाब से डालें।

यह भी पढ़ें: लाल भिंडी की खेती से किसान की शानदार कमाई

बीज रोपण विधि

यह एक रबी फसल है। नवंबर के बाद इसकी बुवाई करने पर पैदावार पर सीधा असर देखा जा सकता है। इसलिए किसान भाई बाजार में उपलब्ध है या अपने किसी विश्वसनीय व्यक्ति से बीज खरीदकर बुवाई कर सकते हैं। उन्नत किस्म के बीज के चुनाव के बाद आप 100 किलोग्राम तथा मोटा दाना 125 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर उपयोग कर सकते हैं। यदि आप बुवाई के लिए छिटकाव विधि का चुनाव कर रहे हैं, तो ऐसी स्थिति में आप से सामान्य दाना 125 किलोग्राम, मोटा-दाना 150 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर की दर से उपयोग करें तो बेहतर होगा।

Black Wheat Cultivation in Hindi

बुवाई से पहले जमाव प्रतिशत राजकीय अनुसंधान केन्द्रों पर नि:शुल्क चेक करवाना ना भूलें। बीज अंकुरण क्षमता और खेत की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार बीज की मात्रा घटा या बढ़ा सकते हैं। समस्याओं से बचने के लिए प्रमाणित बीज का चुनाव करें तो और ज्यादा लाभदायक होगा। बीजों का कार्बाक्सिन, एजेटौवैक्टर व पी.एस.वी. से उपचारित कर बुवाई करें। सीमित सिंचाई वाले क्षेत्रों में रेज्ड वेड विधि से बुवाई करने पर सामान्य दशा में 75 किलोग्राम तथा मोटा दाना 100 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर की दर से बोएं।

फसल की सिंचाई

जैसा आप सभी जानते हैं कि अच्छी गुणवत्ता वाली फसल के लिए उसकी समय पर सिंचाई होना भी आवश्यक है। फसल में पहली सिंचाई तीन हफ्ते बाद करें। फुटाव, गांठें बनते समय, बालियां निकलने से ठीक पहले, दूधिया हालत और दाना पकने के समय सिंचाई का विशेष ध्यान रख आप अधिक से अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।

फसल की कटाई

नवंबर में बुवाई करने के बाद खेत में नियमित रूप से सिंचाई करते हुए आप इसे मार्च के दूसरे या तीसरे सप्ताह में काट सकते हैं। मार्च के दूसरे-तीसरे सप्ताह में आपकी फसल पककर पूर्ण रूप से तैयार हो जाती है। गेहूं के दाने सख्त होने पर नमी 20-25 प्रतिशत ही बचती है जो कटाई करने का सुचक है। सब कुछ सही रहने की परिस्थिति में 10 से 12 क्विंटल तक प्रति बीघे उपज प्राप्त होती है। 

रोग व बचाव

इसकी खेती में सबसे बड़ी समस्या खरपतवार हैं, जो उपज को 10-40 प्रतिशत तक नुकसान पहुंचा सकते हैं। चौड़ी पत्ती वाले घास जैसे खरपतावारों के साथ-साथ कृष्णनील, बथुआ, हिरनखुरी, सैंजी, चटरी-मटरी, जंगली गाजर आदि खरपतवारों से काले गेहूं की फसल को विशेष नुकसान पहुंचने का अंदेशा रहता है। ऐसे में इन सभी खरपतवारओं के नियंत्रण के लिए आप 2,4-डी इथाइल ईस्टर 36 प्रतिशत (ब्लाडेक्स सी, वीडान) की 1.4 किग्रा. या  2,4-डी लवण 80 प्रतिशत (फारनेक्सान, टाफाइसाड) की 0.625 किग्रा. मात्रा को 700-800 लीटर पानी मे घोलकर प्रति हेक्टर के हिसाब से बोनी के 25-30 दिन बाद छिडक़ाव करें।

सकरी पत्ती और अन्य गेहूं की अधिकता होने पर पेन्डीमिथेलिन 30 ईसी (स्टाम्प) 800-1000 ग्रा. प्रति हेक्टर अथवा आइसोप्रोटयूरॉन 50 डब्लू.पी. 1.5 किग्रा. प्रति हेक्टेयर को बुआई के 2-3 दिन बाद 700-800 लीटर पानी में घोलकर प्रति हैक्टेयर की दर से छिडक़ाव करें। बुबाई के 30-35 दिन बाद मेटाक्सुरान की 1.5 किग्रा. मात्रा को 700 से 800 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर छिडक़ाव करने से आप सभी तरह के खरपतवारों से मुक्ति पा सकते हैं।  

मंडी में काले गेहूं की कीमत व कमाई (Black Wheat Price in India)

मंडी में काला गेहूं 5,000 से 7,000 हजार रुपए प्रति क्विंटल की कीमत पर बिकता है, जो कि सामान्य गेहूं से दोगुना है। यदि 2-3 बीघा जमीन से आप 30 से ज्यादा की उपज प्राप्त करते हैं तो दो से ढाई लाख की कमाई आसानी से कर सकते हैं। किसान भाई अपनी उपज को अपने नजदीकी मंडियों या काले गेहूं खरीदने वाली संस्थाओं को सीधे बेच सकते हैं। संस्थाओं के द्वारा भी इसके अच्छे रेट दिए जाते हैं।

 काले गेहूं खाने के फायदे

  • इसमें जिंक और आइरन भी सामान्य गेहूं की तुलना में बहुत अधिक होता है। 
  • यह इम्युनिटी बढ़ाने में मददगार है।
  • डायबिटीज के रोगियों के लिए यह बहुत अच्छा है और यह जल्दी पच भी जाता है।
  • दिल के रोग और कब्ज की शिकायत को दूर करता है।
  • पेट के कैंसर में भी यह फायदेमंद है।
  • हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, आंतों के इंफेक्शन की रोकथाम और नए ऊतकों के निर्माण में काला गेहूं बेहद मददगार है।

काले गेहूं व इसकी खेती से जुड़े सवाल-जवाब

काले गेहूं का रंग काला क्यों होता है?

काला गेहूं पोषक तत्वों का भंडार है। सामान्य गेहू मे एंथोसईमीन 5 से 15 ppm होता है, जबकि काले गेहू मे ppm की मात्रा 40 से 50 ppm (एंथोसईमीन पिग्मेन्ट) है। अधिक ppm खाने मे स्वाद और पोष्टिकता को बढ़ाता है। अधिक ppm के कारण ही इसका रंग काला होता है।

Leave a comment