Sansad Adarsh Gram Yojana (SAGY): कृषकों के उत्थान हेतु सरकार द्वारा कई योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है। इनके परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए सरकार निरंतर प्रयास कर रही है। ग्रामीण विकास हेतु केंद्र सरकार द्वारा सांसद आदर्श ग्राम योजना को चलाया जा रहा है। सांसद आदर्श ग्राम योजना क्या है, यह कब शुरू हुई थी और इसके अंतर्गत किस तरह से ग्रामीण क्षेत्रों में विकास किया जाता है? चलिए जानते हैं।
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Sansad Adarsh Gram Yojana (SAGY) | For UPSC | Objectives | Progress Report | Launch Date Download PDF | महात्मा गांधी आदर्श ग्राम योजना
सांसद आदर्श ग्राम योजना क्या है? (Sansad Adarsh Gram Yojana UPSC)
गांवों के विकास में जोर देने के लिए सांसद आदर्श ग्राम योजना (एसएजीवाई) की शुरुआत की गई थी। भारतीय राजनीतिक के प्रसिद्ध नेता रहे चुके जयप्रकाश नारायण की वर्षगांठ 11 अक्टूबर 2014 को इस योजना की शुरुआत की गई थी। महात्मा गाँधी हमेशा ही गांवों को स्वच्छ और विकसित बनाना चाहते थे, उनके इसी सपने को पूर्ण करने के लिए Sansad Adarsh Gram Yojana को आरंभ किया। देश के सभी सांसदों को ग्रामसभा दी जाती है, जिसका उन्हें विकास कर जनपद की अन्य ग्रामसभाओं हेतु आदर्श के रूप में पेश करना होता है। इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक सांसद हेतु लक्ष्य निर्धारित किया गया है। लक्ष्य के अनुसार हर सांसद को वर्ष 2019 तक 3 और वर्ष 2024 तक 5 ग्रामसभाओं को विकसित करना होता है।
सांसद आदर्श ग्राम योजना का उद्देश्य (Sansad Adarsh Gram Yojana Objectives)
इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को बुनियादी सुविधाएँ और बेहतर रोज़गार के अवसर मुहैया करवाना है। योजना के तहत ग्रामसभाओं का चयन कर उनमें कृषि, स्वास्थ्य, साफ-सफाई, पशुपालन, कुटीर उद्योग, आजीविका, पर्यावरण, शिक्षा, रोजगार आदि क्षेत्रों में विकास पर जोर दिया जाता है। गाँव के विकास का मॉडल इस तरह से तैयार करना किया जाए की आस-पास की पंचायतें भी इस मॉडल को सीखने और अपनाने के लिए तैयार हों। केंद्र सरकार द्वारा 6 लाख गांवों में से 2,500 से अधिक गांवों को इस योजना से जोड़ने का लक्ष्य है।
प्रधानमंत्री द्वारा गोद लिया गया गांव (PM Sansad Adarsh Gram Yojana)
इस योजना के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी एक गाँव को गोद लिया है। मोदी ने बनारस से 25 किलोमीटर दूर स्थित जयापुर को विकास का मॉडल बनाने के लिए गोद लिया है। कई जाति व समुदाय के लोग इस ग्राम में मिल-जुल कर रहते हैं। यहां के लोग मुख्यता खेती करते हैं, पहले यहां पर कोई भी बुनियादी सुविधा नहीं थी|
गाँव में योजना से बदलाव
नरेंद्र मोदी द्वारा ग्राम जयापुर को गोद लिए जाने के पश्चात् यह विकास का नया मॉडल उभर के सामने आया। आज इस गांव में हर मूल सुविधा उपलब्ध है। पक्की सड़क से लेकर अच्छी स्वास्थ्य व्यवस्था तक, हर बुनियादी सुविधा को इस ग्राम से जोड़ा गया है। इस ग्राम को गोद लेने से पहले मोदी जी ने ग्रामीणों से कई वादे किए थे, जिस पर वे खरे भी उतरे हैं। साथ ही उन्होंने ग्रामीणों से कन्या भ्रूण हत्या को रोकने, धरोहरों व पुराने पेड़ों का संरक्षण करने को कहा था| ग्रामीणों ने उनकी बातों को माना और आज जयापुर में कन्या के जन्म पर जश्न मनाया जाता है।
सांसद आदर्श ग्राम योजना की समीक्षा
जब सांसद आदर्श ग्राम योजना की शुरुआत हुई थी, उस समय सांसदों ने इसे तवज्जो देते हुए अपनाया था, लेकिन अब उनके लिए इसकी अहमियत ख़त्म होती जा रही है। आने वाले समय में सांसद आदर्श ग्राम योजना की राह कठिन दिखाई दे रही है। दरअसल, उपलब्ध आँकड़ों के अनुसार योजना के पहले चरण में लोकसभा के 703 सांसदों ने हिस्सा लिया था, वहीं दूसरे चरण में इनकी संख्या केवल 497 थी और अगले 2 चरणों में यह और भी ज्यादा गिर गई। तीसरे चरण में यह घटकर 301 और चौथे चरण में मात्र 252 रह गई। वर्तमान समय में यह बहुत ही जरूरी है कि ग्रामीण विकास के लिए बनाई गई इस तरह की योजनाओं को अनदेखा न किया जाए और इनकी अनदेखी होने पर संबंधित विभाग/अधिकारी की जवाबदेहिता भी सुनिश्चित की जाए।
Sansad Adarsh Gram Yojana PDF
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Sansad Adarsh Gram Yojana Update
योजना के अंतर्गत सांसदों द्वारा गोद लिए गए ग्रामों के विकास न होने के मामले भी अक्सर ख़बरों में बने रहते हैं। ग्रामवासियों को सभी मूलभूत सुविधा देने हेतु सांसद गांव के विकास की जिम्मेदारी लेते हैं। हालाँकि कुछ गांव ऐसे हैं जिनमें विकास होता दिखाई नहीं दे रहा है। ऐसे ही गांव हैं बसई और उनाव जिसे सांसद आदर्श ग्राम योजना के अंतर्गत चिन्हित किया गया था, लेकिन यह गांव अब भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा है। सांसद भागीरथ प्रसाद द्वारा उनाव और बसई को गोद लिया गया था। ग्राम बसई की बात करें तो यहां व्यवस्थित मुक्तिधाम भी नहीं है। ना ही यहाँ बैठने की सुविधा है और ना ही यहाँ की साफ़ सफाई पर ध्यान दिया जाता है। बच्चों हेतु खेलने के लिए मैदान भी नहीं है और न ही व्यवस्थित सब्जी मंडी है।
बिहार के बक्सर जिले के अंतर्गत आने वाले ग्राम बलुआं का हाल भी कुछ ऐसा ही है। यहाँ अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र पर ताला लटका हुआ है। खेती करने के लिए किसानों के पास पानी नहीं है। योजना से जुड़ने से पहले इस गांव की जो हालत थी आज भी जैसी की तैसी बनी हुई है। यह भी महज नाम के लिए ही एक आदर्श ग्राम है।